जो इंसान सच्चा प्यार करता है. उसे दुनिया में इसके सिवा कुछ और नहीं सूझता. दिन रात बस अपने साथी के ख्याल में पड़ा रहता है. मनो उसके सिवा और दुनिया में कुछ भी नहीं. लेकिन जब उसे ठोकर लगती है और वह सबसे अलग और अकेला महसूस करने लगता है तो उसे हर चीज़ बेरंग लगने लगती है. वह भीड़ में हो कर भी अकेला होता है. सबके सामने हँसता है और अकेले में रोता है. लेकिन दर्द भी ज़रूरी है, क्यूंकि ज़िन्दगी में इससे ज़िंदा होने का अहसास बना रहता है. दर्द के बिना हम ख़ुशी को महसूस नहीं कर सकते. ये अहसास सबको एक बार ज़रूर होता है. चाहे हम कितना भी न चाहें मगर होता ज़रूर है. दिल टूटना भी ज़रूरी होता है. इससे इंसान को अपनी हद पता चलती है.
अपने सब बेगाने लगते हैं और दुनिया परायी जान पड़ती है. सब कुछ बेरंग और ख़ुशी भी बेस्वाद लगती है. उसके लौट आने की दुआ करते जुबान थकती नहीं और इंतज़ार की इन्तहां हो जाती है. अकसर मायूसी छायी रहती है. फूलों का मौसम भी पतझड़ लगता है. ये इश्क़ भी कमाल का होता है. दिल टूटना भी बेआवाज़ होता है. ज़िन्दगी के दोराहे में खड़ा वह सोंचता है, काश उसे मोहब्बत न होती तो शायद वह भी खुश होता.
Hindi Sad Shayaris
छुपाये दिल में सभी अरमान बैठे हैं.
हम अपने दिल में लिए ग़मों का जहान बैठे हैं.
ज़िक्र उनका जुबां पे आ न जाये कहीं.
इसी वजह से हम बने बेजुबान बैठे हैं.
ये और बात है के मंज़िल नहीं मिली हमें
लेकीन रास्तों को बेहतर पहचान बैठे हैं
दर्द मेरा किसीको नज़र न आ जाये कहीं.
इसीलिए चेहरे पे मुस्कान लिए बैठे हैं…
अब और क्या चाहिए ए ज़िन्दगी तुझे.
हम तो दे कर तेरे सारे इम्तिहान बैठे हैं…
सीखा है मैंने अपनी ही नादानी से,
कि लोग देते हैं धोखा, बड़ी ही आसानी से.
मतलब के यार निकले कुछ मेरे ही अपने,
जो तड़प उठते थे कभी , मेरी छोटी सी भी परेशानी से…
ये ज़िन्दगी… क्या ज़िन्दगी है,
जी तो रहा हुँ, बस तेरी कमी है.
वही आसमाँ है, यही वो ज़मीं है,
सभी है यहाँ, एक बस तू ही नहीं है.
दिल रो रहा है मेरा, पर होंठो पे हंसी है.
तुम क्या जानो जान…. मेरी क्या बेबसी है…!!!
अगर इश्क़ की गलियों से हो कर न जाते,
तो शायद तुझ जैसे पत्थर से हम ठोकर न खाते…
ये मुमकिन था के हम भी मुस्कुराते,
अगर मुहब्बत हम तुमसे जो कर न जाते…
कहें भी तो क्या और न कहें तो क्या…
चाहत भर कर लेने से, वो अपना नहीं होता.
दिखाई तो देता है हर रोज़ सितारों के साथ…
तमन्ना लाख कर लेने से, चाँद अपना नहीं होता…
कुछ तो असर है उसकी रौशनी में वरना,
दूर हो कर भी इतना, कोई सुकून नहीं देता…
सर ये तो उसी की सोहबत का है मुझमे…
और अब वह कहतें हैं के हम बेपरवाह हो गए हैं